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बहुतकरून
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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frequently
Meanings: 4; in Dictionaries: 4
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oft
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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oftentimes
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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ofttimes
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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often
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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presumably
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presummably
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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probably
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usually
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likely
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लू लागणे
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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काम झाले पाहिजे तर स्वतः जा, नको तर पाठीव दुजा
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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घरकर्ता घराबरोबर वाकडा असतो
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चुकलें गुरूं आखारास पाहावें
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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चुकलें गुरूं आखारास शोधावें
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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धुंधुकार
Meanings: 3; in Dictionaries: 3
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ना हरकत प्रमाणपत्र
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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निशाण साहेब
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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क्वचित् काणी पतिव्रता
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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सॉस
Meanings: 2; in Dictionaries: 2
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करंट्याला बोल फार, चिकण मातीला ओल फार
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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स्मशानांत गेलें तरी कावळ्यांचा उपद्रव
Meanings: 2; in Dictionaries: 1
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उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण २
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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almost
Meanings: 6; in Dictionaries: 3
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गांव जळे नि हनुमान बेंबी चोळे
Meanings: 1; in Dictionaries: 1
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गाडी
Meanings: 10; in Dictionaries: 5
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सहसा
Meanings: 19; in Dictionaries: 10
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माधवनिदान - गंडमालानिदान
" शरिरेंद्रिय-सर्वात्मा संयोगधारी जीवितम् " अशी जीवनाची आयुर्वेदीय, व्यापक व्याख्या आहे.
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बहुत
Meanings: 15; in Dictionaries: 7
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प्रायः
Meanings: 12; in Dictionaries: 7
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माधवनिदान - मेदोरोगनिदान
" शरिरेंद्रिय-सर्वात्मा संयोगधारी जीवितम् " अशी जीवनाची आयुर्वेदीय, व्यापक व्याख्या आहे.
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उत्प्रेक्षा अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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बृहत्संहिता - अध्याय २८
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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माधवनिदान - श्लीपदरोगनिदान
" शरिरेंद्रिय-सर्वात्मा संयोगधारी जीवितम् " अशी जीवनाची आयुर्वेदीय, व्यापक व्याख्या आहे.
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बृहत्संहिता - अध्याय २३
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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कद
Meanings: 25; in Dictionaries: 8
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माधवनिदान - उपदंशरोगनिदान
" शरिरेंद्रिय-सर्वात्मा संयोगधारी जीवितम् " अशी जीवनाची आयुर्वेदीय, व्यापक व्याख्या आहे.
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माधवनिदान - गलगंडनिदान
" शरिरेंद्रिय-सर्वात्मा संयोगधारी जीवितम् " अशी जीवनाची आयुर्वेदीय, व्यापक व्याख्या आहे.
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ससंदेहालंकार - लक्षण ८
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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कन्याविक्रय व आसुरविवाह
प्रस्तुत ग्रंथ १९०१ साली बडोद्याचे महाराज श्रीमंत सयाजीराव गायकवाड यांनी प्रसिद्ध केला होता.
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अपह्नुति अलंकार - लक्षण २
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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बृहत्संहिता - अध्याय ४७
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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विशेष
Meanings: 80; in Dictionaries: 11
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श्लेष अलंकार - लक्षण ५
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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ललित अलंकार - लक्षण १
रसगंगाधर ग्रंथाचे लेखक पंडितराज जगन्नाथ होत. व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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विभक्तिसंबधी अनुस्वार सप्तमी
व्याकरण हा भाषेचा पाया आहे.
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अंक दुसरा - प्रवेश १ ला
नाटक लिहिणे किंवा रंगभूमीवर सादर करणे म्हणजे अवघड कला आहे, शिवाय त्यातील अभिनय जिवंत असावा लागतो.
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बृहत्संहिता - अध्याय १०३
शके ८८८ फाल्गुन कृष्ण द्वितीया गुरुवारी उत्पलनामकाने ही टीका केली.
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शेतकर्याचा असूड - पान ४
शूद्र शेतकरी त्या काळी इतक्या दैन्यवाण्या स्थितीस येऊन पोहोचण्याची धर्म व राज्यसंबंधी अनेक कारणे आहेत, त्यांपैकी थोड्या बहुतांचे मार्मिक विवेचन या ग्रंथात केले आहे.
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